अच्छा ख़ासा तवील तआरुफ़ है, उनका मेरा,
यूँ मिला किसी अजनबी से नही
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
वो मेरी ज़िंदगी से कुछ ऐसे ग़ुजर गया
ये जिंदगी गुलाल सी तुमसे मिले जो साज में
आयेगा तो वही ,चाहे किडनी भी
बसंत
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
हमसे ये ना पूछो कितनो से दिल लगाया है,
मजबूरन पैसे के खातिर तन यौवन बिकते देखा।
संत कवि पवन दीवान,,अमृतानंद सरस्वती
आज कल लोगों को बताओ तब उनको पता लगता है कुछ हुआ है।
सफलता का महत्व समझाने को असफलता छलती।
*कहॉं गए वे लोग जगत में, पर-उपकारी होते थे (गीत)*