तूं ऐसे बर्ताव करोगी यें आशा न थी
भारत मां की लाज रखो तुम देश के सर का ताज बनो
*जीवन का सार यही जानो, कल एक अधूरा सपना है (राधेश्यामी छंद )
कभी कभी किसी व्यक्ति(( इंसान))से इतना लगाव हो जाता है
डॉ अरुण कुमार शास्त्री 👌💐👌
"सबकी नज़रों में एकदम कंगाल हूँ मैं ll
छोड़ो भी यह बात अब , कैसे बीती रात ।
तुमने - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
हिंदी काव्य के प्रमुख छंद
रात रात भर रजनी (बंगाल पर गीत)
*** अंकुर और अंकुरित मन.....!!! ***
चलो जिंदगी का कारवां ले चलें
ख्वाब कैसे कोई मुकम्मल हो,