वक्त के साथ-साथ चलना मुनासिफ है क्या
दिव्य प्रेम
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
रमेशराज की बच्चा विषयक मुक्तछंद कविताएँ
कभी मोहब्बत के लिए मरता नहीं था
ना जमीं रखता हूॅ॑ ना आसमान रखता हूॅ॑
*आ गया मौसम वसंती, फागुनी मधुमास है (गीत)*
ये उम्र के निशाँ नहीं दर्द की लकीरें हैं
"शीशा और रिश्ता बड़े ही नाजुक होते हैं
जिंदगी भी कुछ पहाड़ की तरह होती हैं।
घने तिमिर में डूबी थी जब..
माँ में मिला गुरुत्व ही सांसों के अनंत विस्तार के व्यापक स्त
ग़ज़ल _ छोटी सी ज़िंदगी की ,,,,,,🌹
मेरी जो बात उस पर बड़ी नागवार गुज़री होगी,
तथाकथित धार्मिक बोलबाला झूठ पर आधारित है
उसकी हिम्मत की दाद दी जाए
23/47.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*