कि इतनी भीड़ है कि मैं बहुत अकेली हूं ,
अतीत
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
जो बीत गयी सो बीत गई जीवन मे एक सितारा था
दिल से दिल गर नहीं मिलाया होली में।
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
घायल मन पुकारता तुम्हें, परमात्मा, कैसे करूं तेरी आराधना, सज
कुछ तुम बदलो, कुछ हम बदलें।
गर तुम मिलने आओ तो तारो की छाँव ले आऊ।
*बुंदेली दोहा-चिनार-पहचान*
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
"दुखद यादों की पोटली बनाने से किसका भला है
इश्क़ का माया जाल बिछा रही है ये दुनिया,
*आऍं-आऍं राम इस तरह, भारत में छा जाऍं (गीत)*
ईश्वर ने हमें सुख दिया है, दुःख हम स्वयं निर्माण कर रहे हैं।