ह्रदय है अवसाद में
मेरे दाये हाथ की हथेली पर
उभरा शुक्र मुस्कराता है
……तुम्हारी याद में ।
चैत्र मास से ज्येष्ठ माह के अंत तक
सुबह की पहली किरण लगता है शुक्र
अषाढ़ में उड़ते मेघों में
कुंतल सी आभा बिखेरता है शुक्र
सावन भादों में गरजते मेघों के बीच
ह्रदय पर बिजली गिरा जाता है शुक्र
तुम्हारी याद में ।
तुम्हारे बाये हाथ की हथेली का शुक्र
मौसम के हर मिज़ाज से
क्यों नाखुश है यह सोचकर
ह्रदय है अवसाद में ।