हो रही बरसात झमाझम….
हो रही बरसात झमाझम….
हो रही बरसात झमाझम मन मेरा भी मोर हुआ
चित को उसने किया है चोरी वो मेरा चित चोर हुआ।
बादल बरसे मिले धरा से तुम भी मिल लो अपने दिया से
तिमिर दूर कर लो जीवन का क्यों हो तुम यूं खफ़ा-खफ़ा से
हो रही बरसात झमाझम….
पशु भी खुश हैं खुश हैं पक्षी खुश है फ़सल बाजरे की
तुम भी मिलकर खुश हो लो न ये नहीं बात टालने की
हो रही बरसात झमाझम….
आ भी जाओ मत तरसाओ बारिश का नहीं कोई यकीं
अबके बरसे फ़िर कब आयें फिर तरसोगी जैसे जमीं
हो रही बरसात झमाझम….
डॉ. दीपक मेवाती