हो भविष्य में जो होना हो, डर की डर से क्यूं ही डरूं मैं।
हो भविष्य में जो होना हो, डर की डर से क्यूं ही डरूं मैं।
मृत्यु अगर आनी है आए, उससे पहले क्यूं ही मरूं मैं।।
वर्तमान मेरा अपना है, फिर डर कैसा और मृत्यु कहां है।
खुद फ़ौलादी जीवन गर है, तो शोक कहां और शत्रु कहां है।।
जय हिंद जय सियाराम