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22 Dec 2017 · 1 min read

हो नहीं सकता ..आप चाहकर भी गौर करेंगे !

तुम्हारे लिखे को.. कौन पढ़ेगा,
लोग नसीब के लिखे को मानते है !!
.
कुछ ही लोग नहीं चाहते,
भुखमरी हटे, लाचारी घटे,
लोग स्वावलंबी बने,
अध्यात्मिक उन्नति हो,
अधर्म की हानि हो,
.
उनके व्यापार का आधार हिले,
और केवल ये वे ही लोग हैं,
जो,
कुछ अपनी जैसी सोच के लोगों की मदद से
बहुत अधिक लोगों पर बहुत अधिक समय से बेवकूफ बनाए हुए हैं,
बाकी शेष लोग चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे !
इसी का नाम……???
.
यह भी एक प्रकार का धर्म है,
इस पर सिर्फ पाखंडी राज करते है,
.
गिला तो मुझे भी बहुत है,
तपती दोपहरी में…..,
पर सुखाऐं कैसे..??
.
महेंद्र

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 1 Comment · 211 Views
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