हो नये इस वर्ष
गीत… हो नये इस वर्ष पर…
हो नये इस वर्ष पर उत्कर्ष करता कामना।
ना करें कोई कभी भी संकटों से सामना।।
हर्ष हो उल्लास हो पायें यहाँ मंजिल सभी।
चाहता तरसे नहीं आँखें यहाँ कोई कभी।।
सब करें आराध्य की हर्षित हुए आराधना।
हो नये इस वर्ष पर उत्कर्ष करता कामना।।
दुर्गुणों से दूरियां हो सद्गुणों से प्यार हो।
आपसी सद्भावना से युक्त यह संसार हो।।
द्वेष हिंसा से परे निर्मल सभी की भावना।
हो नये इस वर्ष पर उत्कर्ष करता कामना।।
मुस्कराती सभ्यताएं पीढ़ियों को दान दें।
है जरूरी हम युगों की भव्यता को मान दें।
देश के संदेश को हर हाल में सब मानना।
हो नये इस वर्ष पर उत्कर्ष करता कामना।।
हो नये इस वर्ष पर उत्कर्ष करता कामना।
ना करें कोई कभी भी संकटों से सामना।।
डाॅ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’
(बस्ती उ. प्र.)