हो नजरों में हया नहीं,
हो नजरों में हया नहीं,
जिसकी आंखों का पानी सूखा हो।
मृग तृष्णा जिसके कंठ बसा,
झूठे सम्मान का भूखा हो।।
हर पल झूठ परोसे जो,
झूठे आश्वासन देता हो।
लंपट, निरंकुश चोर हो जो,
वो लोकतंत्र में नेता हो।
जय हिंद
हो नजरों में हया नहीं,
जिसकी आंखों का पानी सूखा हो।
मृग तृष्णा जिसके कंठ बसा,
झूठे सम्मान का भूखा हो।।
हर पल झूठ परोसे जो,
झूठे आश्वासन देता हो।
लंपट, निरंकुश चोर हो जो,
वो लोकतंत्र में नेता हो।
जय हिंद