लघुकथा ‘शिक्षा के दलाल
अंग्रेजी माध्यम स्कूल की शिक्षिका ने अंजली की बेटी का तीसरी कक्षा का रिजल्ट देते हुए कहा-“इस बार कक्षा 4 का कोर्स बदल गया है! स्कूल के बाहर लिस्ट लगी हुई है कृपया संबंधित बुक सेलर से प्राप्त कर सोमवार से बच्ची को स्कूल भेजें । समय पर स्कूल फीस जमा कर दें !हमारे यहाँ एडमिशन के लिए भीड़ लगी हुई है।”
अंजली ने पहले ही किसी परिचित से पुराना कोर्स ले लिया था, उसने कुछ कहना चाहा-“जी, पिछले वर्ष ही तो कोर्स बदला था … क्या प्रति वर्ष कोर्स….?”
टीचर ने साफ किया -“देखिए कोर्स बदलने की नीति हमारी नहीं है, यह ऊपर से निर्धारित होती है।”
अंजली अपनी बेटी के साथ स्कूल से बाहर निकल आयी । भारी भरकम कोर्स एवं बढ़ी हुई फीस की चिंता अंजली के माथे पर स्पष्ट झलक रही थी।