होश
फ़रेब और फ़रेबी से जब वास्ता होता है।
न बचा आगे पीछे कोई रास्ता होता है।
फ़रेब करना था तो दुश्मन बन जाते,
अब तो दोस्त से भी होश फ़ाख्ता होता है।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
फ़रेब और फ़रेबी से जब वास्ता होता है।
न बचा आगे पीछे कोई रास्ता होता है।
फ़रेब करना था तो दुश्मन बन जाते,
अब तो दोस्त से भी होश फ़ाख्ता होता है।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी