होली
होली
गोकुल की गलियों में,मची होली की धूम।
मस्त मगन हो नांचे गाए,सभी रहे हैं झूम।।१।।
राधिका प्यारी खेले,सांवरिया के साथ
होली के रंगों से रंगे,सबने अपने हाथ।।२।।
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रचना- पूर्णतः मौलिक एवं स्वरचित
निकेश कुमार ठाकुर
गृहजिला- सुपौल
संप्रति- कटिहार (बिहार)
सं०-9534148597