होली
1
मोरी रँग दी श्याम ने, चुनरी अपने रंग
पिचकारी की धार से, भीगे सारे अंग
भीगे सारे अंग , चली भीगी पुरवाई
उड़ते रंग गुलाल ,हर तरफ मस्ती छाई
खूब अर्चना आज ,हुई फिर जोरा जोरी
पकड़ी कस कर बाँह, कलाई मोड़ी मोरी
2
बिन बोले सब बोल दें, दिल की पीड़ा नैन
दर्द बहे जब नैन से, मिलता दिल को चैन
मिलता दिल को चैन, समझिये इनकी बानी
झर झर झरते नैन, प्रेम की कहें कहानी
देखो ये ही नैन , ग़मों को खुद मे तोले
आँसूं के ही मोल , बेच देते बिन बोले
3
अपनों से तू प्रीत कर ,अपनों को मत खोय
दुख में तेरा साथ दे ,अपना ही प्रिय कोय
अपना ही प्रिय कोय ,अरे ओ भोले भाले
रिश्ते हैं अनमोल ,प्रेम से इन्हें निभाले
देख अर्चना आज , निकल बाहर सपनों से
शिकवे सारे भूल गले मिल तू अपनों से
4
कैसे होली अब मने ,पिया भये परदेश
विरहन बन इत उत फिरूँ ,जोगन का ले भेष
जोगन का ले भेष, रात दिन याद सताती
लिख लिख भेजूँ रोज,सजन को मैं इक पाती
अपने लगते आज , परायों के ही जैसे
सोचूँ खेलूं आज ,सजन बिन होली कैसे
5
घोलें पानी में सभी , चलो प्यार के रंग
मतभेदों को भूलकर, कदम बढ़ाएं संग
कदम बढ़ाएं संग ,कोई न ऊँचा नीचा
सुन्दर ये संसार ,बनायें एक बगीचा
द्वार अर्चना आज , चलो सब मन के खोलें
लग होली में गले , मधुरता का रस घोलें
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद ( उ प्र )