होली – विरह गीत – पियाजी कब आओगे—-
तुम बिन सुनी होली मेरी, सखियां टोली के संग गई।
भूली बिसरी यादें सिमटी, मैं उस के रंग में रंग गई।
पिया जी कब आओगे, पिया जी कब आओगे।
चिट्ठी खोली पत्री खोली सूरत उसमें निहार रही।
रंग रंगीले शब्द लिखे थे बार-बार उच्चार रही।।
बीते उन हसीन पलों को,अंतर मन में टटोल रही।
अंखियां बरसी मै क्यों तरसी,तस्वीर से तेरी बोल रही।।
पिया जी कब आओगे,पिया जी कब आओगे।।
बरस रहा है गली गली में,रंग अबीर गुलाल।
तरस रही हूं तोरे विरह में, झुका के अपना भाल।।
रंग-बिरंगे हो गए चेहरे सबके लालम लाल।
याद में तोरी भीग रहे है, अश्रुओं से गुलाबी गाल।।
पिया जी कब आओगे पिया जी कब आओगे।।
राजेश व्यास अनुनय
***आप सभी को होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं***