होली गीत
मति मारो हमें पिचकारी कन्हैया मति मारो हमें पिचकारी।
कान्हा तुम निर्लज्ज जनम के हमें देखे है दुनिया सारी।।
इक तो चल रई पवन पुरवाई, दूजे रंग में मोहे भिगाई।
छोड़ो कान्हा मोरी कलाई देन्हे तुमको दूध मलाई।।
भीगी अंगिया सारी कन्हैया मति मारो मोहे पिचकारी।
चोखो रंग लगाओ हमको जनम जनम भूलें नहीं तुमको।।
येंसी प्रीत करो तुम कान्हा जग छूटे तुम ना छूटो कान्हा।
तुमरी है बलिहारी कन्हैया मति मारो हमें पिचकारी।।
बरसाने की राधा गौरी साखियों के संग खेलत होरी।
उदत है रंग गुलाल अबीरा दे दे ताली नाचे अहिरा।।
भींजत हैं नर नारी कन्हैया मति मारो मोहे पिचकारी।
उमेश मेहरा
गाडरवारा (एम पी)
9479611151