होली गीत
अँखिया गईले पथराई, दूरदेश बसेला सजनवां। 2
अँखिया गईले पथराई अँखिया गईले पथराई। 2
बीतलऽ अषाढ़ सावन बीतलऽ कुआर बा।
कातिकऽ से माघ ले ना आइल बहार बा।
गईले सवत पे लुभाय दूरदेश बसेला सजनवां।
अँखिया गईले पथराई अँखिया गईले पथराई।। 2
फागुनऽ में अईहें ऊ तनिको न भान बा।
हवा लागल बहरी के घर के न ध्यान बा।
गईलें हमके भुलाई, दूरदेश बसेला सजनवां।
अँखिया गईले पथराई अँखिया गईले पथराई। 2
काहो निर्मोही कब घरवा तू अईब।
भर अँकवारी रंग अबिरवा लगईब।
लेतऽ गरवा लगाई, दूरदेश बसेला सजनवां।
अँखिया गईले पथराई अँखिया गईले पथराई। 2
सजना सचिन गाई फगुआ सुनईत।
नेह पिचकारी मारी हियरा जुड़ईत।
मनऽ जाइत हरसाई दूरदेश बसेला सजनवां।
अँखिया गईले पथराई अँखिया गईले पथराई। 2
✍️ संजीव शुक्ल ‘सचिन’