होली के पावन पर्व पर पुलवामा शहीदों और पल – पल शहीद होते अन्
होली के पावन पर्व पर पुलवामा शहीदों और पल – पल शहीद होते अन्य सैंकड़ों जवानों को समर्पित मेरी कुछ पंक्तियाँ :–
तुम माथ गुलाल लगाते हो
मैं माथ देश – रज रखता हूँ
तुम मिलजुल कर हँसते – गाते
मैं हर पल सरहद तकता हूँ
तुम सब संगी साथी वाले
मैं तन्हा तारे गिनता हूँ
तुम ढोल बजाते , गाते हो
मैं रोज धमाके सुनता हूँ
तुम गले लगाते हर प्यारे को
मैं मौत को गले लगाता हूँ
तुम सतरंगी रंगों से नहाते
मैं लहू में भीग – भीग जाता हूँ
तुम जीवन शान से जीते हो
मैं पत्थरों में सो जाता हूँ
तुम अपने – अपने घर बचाते
मैं खुद को बचा नहीं पाता हूँ
जब तुम सब खूब खुश होते हो
मैं तन्हा बैठके रोता हूँ
तुम मीठा खाते जी भरकर
मैं खुश हो गोली खाता हूँ
तुम रागरंग में शोर मचाते हो
मैं टुकड़ों में भी नहीं चिल्लाता हूँ
इक सोच मेरे मन आती है
और आँखें भर – भर जाती हैं
ये मेरी पहली होली है
जो खुद को खोकर खेली है
मैंने बस तीन ही रंग चुने
और उन रंगों को ओढ़ लिया
हर नाते को तोड़ा मैंने
और मौत से नाता जोड़ लिया
मेरे अपने कल रोएँगे
वो रंगों को देख ना पाएँगे
मेरी फोटो को तिलक करेंगे
बस इतनी सी होली मनाएँगे
जिनकी होली के रंग बचाने को
मैं ऐसे जो कुर्बान हुआ
वो कभी कहीं इकपल को भी
क्या याद मुझे कर पाएँगे ???????
सीमा वर्मा