“होली की कुण्डलियाँ “(कुण्डलियाँ छंद)
“होली की कुण्डलियाँ ”
(कुण्डलियाँ छंद)
1.
सजना,सजनी से कहे, रंग न डालो मीत।
अबकी होली में प्रिये, कर मुझसे बस प्रीत।।
कर मुझसे बस प्रीत, साथ कभी ना छोड़ना।
जाये भी सब रूठ, तुम मुझसे ना रूठना।
हो सब तुझसे दूर, तु मुझसे दूर न रहना।
कहे रामप्रसाद, कहे सजनी से सजना।
2.
त्याग दो ऊँच निच सभी, छोड़ो सभी विकार।
बैर भाव सब छोड़ दो, रखो दिलों में प्यार।
रखो दिलों में प्यार, होली का त्योहार है।
करो आपस में प्यार, छाया बहुत खुमार हैं।
छोड़ो सब तकरार, सब को अब तुम प्यार दो।
कहे रामप्रसाद,ऊच नीच सब त्याग दो।
रामप्रसाद लिल्हारे
“मीना “