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3 Aug 2024 · 1 min read

*होरी के रंग*

रसिया होरी खेलो मोरे संग ।
लगा दो लाल नीले पीले रंग ।
रंग दो सब सखियों के अंग ।
घोंट लो जमकर मीठी भंग ।

देखो कहीं पड़े न रंग में भंग ।
जमे जो रंग गुलाल की जंग ।
सखियाँ अपने पिया के संग ।
नाँच रहीं पी पी करके भंग ।

बहे गलियन में जमुना गंग ।
जवाँ ओ सब बच्चे बूढ़े चंग ।
भूल गये सब ये बेढंगे ढंग ।
करें सब मिलजुल कर तंग ।

देखन बारे सब रह गये दंग ।
चुन्नु मुन्नु पुन्नु गुन्नु और मलंग ।
गूँज रही फागुन गीतों की तरंग ।
ओम् को दिख रहे दो दो ऋंग ।

ओमप्रकाश भारती ओम्
बालाघाट मध्यप्रदेश

62 Views
Books from ओमप्रकाश भारती *ओम्*
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