“होना है क्यों हताश ज़रा हट के सोचिए।
“होना है क्यों हताश ज़रा हट के सोचिए।
अंधियार में उम्मीद भरा दीप जला है।।
उसने कहा कि देश मेरा थम गया है आज।
मैंने कहा कि मुद्दतों में साथ चला है।।”
■प्रणय प्रभात■
“होना है क्यों हताश ज़रा हट के सोचिए।
अंधियार में उम्मीद भरा दीप जला है।।
उसने कहा कि देश मेरा थम गया है आज।
मैंने कहा कि मुद्दतों में साथ चला है।।”
■प्रणय प्रभात■