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26 Jun 2024 · 1 min read

होते फलित यदि शाप प्यारे

होते फलित यदि शाप प्यारे
अभिशापों को कौन नकारे
बैठा-बैठा सोच रहा मनु
देख ले श्रद्धा, धरती- तारे।।

सूर्यकांत

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