होते फलित यदि शाप प्यारे
होते फलित यदि शाप प्यारे
अभिशापों को कौन नकारे
बैठा-बैठा सोच रहा मनु
देख ले श्रद्धा, धरती- तारे।।
सूर्यकांत
होते फलित यदि शाप प्यारे
अभिशापों को कौन नकारे
बैठा-बैठा सोच रहा मनु
देख ले श्रद्धा, धरती- तारे।।
सूर्यकांत