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16 Nov 2023 · 1 min read

होता नहीं किसी का

होता नहीं किसी का यहाँ पर सनम कोई
खाते हैं क्यों हमेशा वो झूठी क़सम कोई

हम ज़िन्दगी की राह में क्यों दूर हो गए
अरमाँ थे दिल में जितने भी वो चूर हो गए
परवाह अब नहीं है करों सर क़लम कोई
खाते हैं क्यों हमेशा वो झूठी क़सम कोई

क्यों अंजुमन में अपनी वो फ़रियाद कर रहे
यादों की वो हवेली में क्यों याद कर रहे
शब भर सता रहा है सितमगर को ग़म कोई
खाते हैं क्यों हमेशा वो झूठी क़सम कोई

Language: Hindi
76 Views

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