होता अगर पैसा पास हमारे
होता अगर पैसा पास हमारे, हम बेकदर ऐसे होते नहीं।
लगाते गले से हमको सभी, हम बेशहर ऐसे होते नहीं।।
होता अगर पैसा पास हमारे———————।।
छोड़ दिया है बातें करना, हमसे हमारे यारों ने।
हमको हंसाना, पास बुलाना,अब हमारे यारों ने।।
पैसा नहीं तो यारी खत्म, हमसे हमारे यारों की।
होता अगर पैसा पास हमारे——————।।
तोड़ दिया है अपनों ने भी, हमसे रिश्ता ऐसे में।
करना हमारी अब मदद, अपनों ने भी ऐसे में।।
बिन पैसों के देते नहीं है, हमको अपने घर पनाह।
होता अगर पैसा पास हमारे—————-।।
चाहता नहीं कोई दूर करना, आज हमारी मुफलिसी।
अंधेरा हमारी जिंदगी से मिटाकर, देना हमको खुशी।।
इनपे लुटाते अगर हम पैसा, तो हम खुदा इनके होते।
होता अगर पैसा पास हमारे———————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)