होगा वही यहाँ पर जो भी होना है
होगा वही यहाँ पर जो भी होना है
फिर क्यों मानव बात बात पर रोना है
मिल जाएगा वो जो तेरा अपना है
पर पूरा होता किसका हर सपना है
जीवन का तो नाम ही पाना खोना है
फिर क्यों मानव बात बात पर रोना है
अपने कर्मों का फल सबको मिलता है
सबक यही अनुभव से हमको मिलता है
पाना है जो सिर्फ वही बस बोना है
फिर क्यों मानव बात बात पर रोना है
चंचल माया नहीं किसी की होती है
रूप सलोना ये काया भी खोती है
साँसें भी सूखे पत्तों का दोना है
फिर क्यों मानव बात बात पर रोना है
आलस से है बड़ी न कोई बीमारी
कर्मठता से मिले सफलता भी भारी
समय गवाकर नहीं यहाँ गर सोना है
फिर क्यों मानव बात बात पर रोना है
14-05-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद