है सुकूँ से भरा एक घर ज़िन्दगी
है सुकूँ से भरा एक घर ज़िन्दगी
प्यार का एक प्यारा सफ़र ज़िन्दगी
ये हकीकत, कभी ख़्वाब जैसी लगे
फूल – काँटों भरी है डगर ज़िन्दगी
जब मिले ख़ूबसूरत नशीली लगे
है मुहब्बत भरी इक नज़र ज़िन्दगी
हाथ थामे चले जा रहे हम उधर
जा रही हमको लेकर जिधर ज़िन्दगी
फिर न देखेगी मुँह मोड़कर ये हमें
जब चली जाएगी छोड़कर ज़िन्दगी
थामना डोर इसकी ज़रा प्यार से
टूटकर फिर न जाये बिखर ज़िन्दगी
है ये छोटी बहुत ध्यान रखना मगर
आँसुओं से न हो तरबतर ज़िन्दगी
‘अर्चना’ वक़्त की जब मिलेगी दवा
जाएगी दर्द से फिर उबर ज़िन्दगी
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डॉअर्चना गुप्ता
मुरादाबाद