है शिल्पकार तू…..
बोधिसत्व महामानव हे शिल्पकार तू…
ज्ञान का प्रकाश और भंडार तू…
भूमि सुधार के आने से,
जन – जन को मिल गए पट्टे ।
श्रम की कीमत पहचानी,
आधे किए काम के घंटे…
बुद्ध की राह चल बना समता का खेवनहार तू…
बोधिसत्व महामानव हे शिल्पकार तू..
ज्ञान का प्रकाश और भंडार तू…
देश में जब थी नहीं,
कोई नीति शासन करने की ।
कैसे चलेगा देश अर्थ बिन,
बैंको से मिलेगी देश को गति…
भाखड़ा नांगल बांध का भी बन गया आधार तू…
बोधिसत्व महामानव हे शिल्पकार तू…
ज्ञान का प्रकाश और भंडार तू….
हिंदू कोड बिल देकर,
महिलाओं को अधिकार दिए ।
थी व्यवस्था बद से बदत्तर,
लड़ने को सारे हथियार दिए..
गोलमेज सम्मेलन में बना वंचितों का भागीदार तू….
बोधिसत्व महामानव हे शिल्पकार तू..
ज्ञान का प्रकाश और भंडार तू…
महाड़ सत्याग्रह से दे दी,
पानी पीने की आजादी ।
कालाराम के ताले तोड़कर,
भीम ने की लड़ने की मुनादी ।
नवयुग, समता के भारत का बना कर्णधार तू……
बोधिसत्व महामानव हे शिल्पकार तू…
ज्ञान का प्रकाश और भंडार तू…
दे दी आज़ादी शोषितों को,
वंचितों के दुःख दूरकर ।
शोषण की जो जंजीर थी,
तोड़ दी वो खींचकर…
संविधान की हर एक कड़ी का बना लेखनकार तू….
बोधिसत्व महामानव हे शिल्पकार तू…
ज्ञान का प्रकाश और भंडार तू…
रहे जाति मुक्त भारत अपना
दुनिया को ये संदेश दिया
मानव – मानव हो एक समान
बुद्ध के धम्म का ये संवेग किया
करुणा प्रज्ञा शील का बना प्रसारक तू…
बोधिसत्व महामानव हे शिल्पकार तू…
ज्ञान का प्रकाश और भंडार तू…
भारत के जनमानस को दे दिया
शिक्षा के दीप का उजाला
हम भारतवासी रहें अंततः
दिया देश के जन जन का हवाला
देश की सीमाओं का है बना चित्रकार तू ….
बोधिसत्व महामानव हे शिल्पकार तू…
ज्ञान का प्रकाश और भंडार तू…..।