है गरीबी खुद ही धोखा और गरीब भी, बदल सके तो वह शहर जाता है।
है गरीबी खुद ही धोखा और गरीब भी, बदल सके तो वह शहर जाता है।
वह बिंदास बेखबर जाता है,
जब इंसान अपने घर जाता है।।
“संजय”
है गरीबी खुद ही धोखा और गरीब भी, बदल सके तो वह शहर जाता है।
वह बिंदास बेखबर जाता है,
जब इंसान अपने घर जाता है।।
“संजय”