***है कैसा यह अपनापन !
मिलने वाले सभी तो कहते, तुम्हारे हैं ,तुम्हारे हैं।
वक्त जरूरत काम पड़े जो।
कहते रहते है,,आ रहे हैं।
है कैसा यह अपनापन, देता दिखाई सूनापन।।
नहीं चाहते दौलत उनसे,
वक्त तनिक सा दे जाए।
काहे बुलाया ?याद क्यों आया?
आकर तो वे मिल जाएं।।
दिखलाते अनजाना पन, है कैसा यह अपनापन।।
दुनिया चल दी, सबको जल्दी,
कहते वक्त नहीं है जी।
करे बहाने , हाल न जाने,
यह तो सही नहीं है जी।।
मिटे अनुनय है जो खालीपन, चलो बनाए अपनापन।।
हे कैसा यह अपनापन।।
राजेश व्यास अनुनय