हैसियत
किसी की हैसियत को देख गर तुम प्यार करते हो।
मुझे लगता कि जैसे अब, ये तुम व्यापार करते हो।
बिना मंजिल की राहों में, भटकते हो किधर बोलो-
ये जीवन एक दूजे का, यूँ ही बेकार करते हो।
किसी की हैसियत को देख गर तुम प्यार करते हो।
मुझे लगता कि जैसे अब, ये तुम व्यापार करते हो।
बिना मंजिल की राहों में, भटकते हो किधर बोलो-
ये जीवन एक दूजे का, यूँ ही बेकार करते हो।