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30 Nov 2019 · 1 min read

हैवानों के हाथ !!

हैवानों के हाथ !!

सिसक रही हैं बेटियां,
ले परदे की ओट !
गलती करे समाज है,
मढ़ते उस पर खोट !!

खेले कैसे तितलियाँ,
अब बगिया के साथ !
फ़ैल रहें दिन रात है,
हैवानों के हाथ !!

नहीं सुरक्षित आबरू,
क्या दिन, क्या रात !
काँप रहें हम देखकर,
कैसे ये हालात !!

मोमबत्तियों को छोड़कर,
थामों अब तलवार !
दिखे जहाँ हैवानियत,
सिर दो वहीं उतार !!

✍ प्रियंका सौरभ

Language: Hindi
3 Likes · 372 Views
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