हैरान हूं मैं आपको ख्वाब में देख कर
हैरान हूं मैं आपको ख्वाब में देखकर
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हैरान हूं मैं आपको ख्वाब में देख कर,
खुद के प्रश्नों के मैं जवाब में देख कर|
हर पल मर रहे हम जीने की आस में,
मौत को भी जिंदा हिसाब में देख कर|
जो थे मगन उड़ रहे खुले नील गगन में,
आजाद परिंदों को दवाब में देख कर|
हर रोज कर रहे परेशां हैवान बन कर,
इंसानियत के झूठे नकाब में देख कर|
खुशियों भरे पल हैं लाजवाब मनसीरत,
खुशनुमा सा हालात खराब में देख कर|
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)