हैरानी (विवेक बिजनोरी)
“मुझे जानकर ये हैरानी बहोत है,
ये सन्नाटे की चीखें पुरानी बहोत है
कहाँ गुम हो गयी आँगन की रौनक,
घरों में आजकल वीरानी बहोत है।”
(विवेक बिजनोरी)
“मुझे जानकर ये हैरानी बहोत है,
ये सन्नाटे की चीखें पुरानी बहोत है
कहाँ गुम हो गयी आँगन की रौनक,
घरों में आजकल वीरानी बहोत है।”
(विवेक बिजनोरी)