Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 May 2022 · 1 min read

“ हैदराबादी चिंबपाँजी “

(व्यंग )
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
================
अधिकांशतः लोक आनक निष्क्रियता क उजागर करैत अछि आ अपने मियां मिठू बनि प्रशंसाक पात्र बनबाक प्रयास करैत अछि ! मुदा निष्क्रियता हमरो गत्र -गत्र मे पैइसल अछि ! भाषा, संस्कृति ,गाम ,समाज आ परिवेश सं दूर रहलहूँ ! भाषा बिसरि गेलहूँ ,यज्ञ ,मुंडन ,उपनयन ,विवाह आ विधि -विधान क महत्व नहि बुझि सकलहूँ !
हैदराबाद मे रहि बच्चों सब “ तेरेको ….मेरेको “ बजइत अछि ! आब काज धंधा बंद भ गेल ! स्कूल कॉलेज बंद ! सब विचारि केलहूँ “ गामे चलू !” कनिओ केँ नैहर सटले “ पिलखवाड “ छनि ! गाम “ मगरपट्टी” मे त अपन हाजिरी बनल रहत ! स्नानों जे करय लेल “ महराजी पोखरि “ गेलहूँ त बुझू कैलाशक दर्शन भ गेल !
हमरा लोकनिक गप्प छोडु ! बच्चा सब त गाम आबि माल -जाल सं बत्तर बनि गेल ! मिथिलाक माल- जाल त मैथिली बुझइत अछि मुदा हैदराबादी चिंबपाँजी कतय ? हमहूँ कोनों न कोनों मैथिली ग्रुप सं जूडि गेलहूँ ! आर किछु नहि ,जे कियो किछु लिखइत छलाह हम अपन कमेन्ट मे “ जय श्रीराम “ जय हनुमान “ राधे राधे “ इत्यादि लिख दैत छलियनि ! ओहो रोमन मे ,” JAY SHREERAM “ “JAY HANUMAN “ “RADHE RADHE “ !
मैथिली लिपि क बात जुनि करू ,मैथिली देवनागरी हमरा नहि अबैत अछि ! आब इ नहि पुछब कि “ जे आहाँ केना इ सब लिखलहूँ ? जहन आहाँक मैथिली नहि अबैत अछि “! इ त हमर सौभाग्य थिक जे डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “ भेट गेलाह ! हुनके सं लिखेलहूँ !
आहाँ लोकनिक
हैदराबादी चिंबपाँजी ( मैथिल )
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “

Language: Maithili
193 Views

You may also like these posts

मुनव्वर राना
मुनव्वर राना
Dr. Kishan tandon kranti
दिमाग़ वाले
दिमाग़ वाले
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
माटी
माटी
जगदीश लववंशी
दीवाली शुभकामनाएं
दीवाली शुभकामनाएं
kumar Deepak "Mani"
रिश्ते और तहज़ीब
रिश्ते और तहज़ीब
पूर्वार्थ
*साम्ब षट्पदी---*
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
केवल माँ कर सकती है
केवल माँ कर सकती है
Vivek Pandey
गर बिछड़ जाएं हम तो भी रोना न तुम
गर बिछड़ जाएं हम तो भी रोना न तुम
Dr Archana Gupta
कर मुसाफिर सफर तू अपने जिंदगी  का,
कर मुसाफिर सफर तू अपने जिंदगी का,
Yogendra Chaturwedi
■ केवल लूट की मंशा।
■ केवल लूट की मंशा।
*प्रणय*
शीर्षक– आपके लिए क्या अच्छा है यह आप तय करो
शीर्षक– आपके लिए क्या अच्छा है यह आप तय करो
Sonam Puneet Dubey
ज़िंदगी के सफ़हात   ...
ज़िंदगी के सफ़हात ...
sushil sarna
वक़्त
वक़्त
Dinesh Kumar Gangwar
प्रदूषण
प्रदूषण
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
राख के धुंए में छिपा सपना
राख के धुंए में छिपा सपना
goutam shaw
हंसते हुए तेरे चेहरे ये बहुत ही खूबसूरत और अच्छे लगते है।
हंसते हुए तेरे चेहरे ये बहुत ही खूबसूरत और अच्छे लगते है।
Rj Anand Prajapati
शर्माया चाँद
शर्माया चाँद
sheema anmol
माँ और हम
माँ और हम
meenu yadav
"ईद-मिलन" हास्य रचना
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
सुविचार
सुविचार
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
गुरु अमरदास के रुमाल का कमाल
गुरु अमरदास के रुमाल का कमाल
कवि रमेशराज
*यह भगत सिंह का साहस था, बहरे कानों को सुनवाया (राधेश्यामी छ
*यह भगत सिंह का साहस था, बहरे कानों को सुनवाया (राधेश्यामी छ
Ravi Prakash
अन्नदाता किसान
अन्नदाता किसान
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
अरे वो बाप तुम्हें,
अरे वो बाप तुम्हें,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
शाश्वत प्रेम
शाश्वत प्रेम
Shashi Mahajan
मजदूर हूँ साहेब
मजदूर हूँ साहेब
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
24/494.💐 *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका* 💐
24/494.💐 *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
डॉक्टर रागिनी
जिसे सपने में देखा था
जिसे सपने में देखा था
Sunny kumar kabira
Loading...