*हे हनुमंत प्रणाम : सुंदरकांड से प्रेरित आठ दोहे*
हे हनुमंत प्रणाम : सुंदरकांड से प्रेरित आठ दोहे
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1
कांतियुक्त स्वर्णिम छटा, अतुलित बल के धाम
अग्रगण्य ज्ञानी गुणी, हे हनुमंत प्रणाम
2
इच्छा है केवल यही, रघुकुल भूषण राम
और नहीं कुछ चाहता, हटे हृदय से काम
3
वंदन हे श्री राम जी, हरने वाले पाप
परम शांति निर्वाण-पद, देने वाले आप
4
माया से प्रभु दिख रहे, मनुज रूप में राम
करुणा के भंडार तुम, जगदीश्वर शुभ नाम
5
दैत्य-रूप वन के लिए, अग्नि-रूप भगवान
पर्वत मानो स्वर्ण के, श्री हनुमान महान
6
देवों में सबसे बड़े, रघुकुल-श्रेष्ठ प्रणाम
मोक्ष-प्रदाता आप हैं, अप्रमेय श्री राम
7
अंतर्यामी कर कृपा, दे दें इतना दान
भक्ति मिले संपूर्णत:, हे करुणा की खान
8
राम हृदय जिनके बसे, वर दें श्री हनुमान
कर्म करें लेकिन नहीं, करें तनिक अभिमान
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अप्रमेय = प्रमाण से परे
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451