हे साहित्यपीडिया
हे साहित्यपीडिया तुम्हारा बार-बार अभिनन्दन ।
तुमने जो तुच्छ मनुज के रचना को दिया स्पन्दन ।।
हे साहित्यपीडिया तुम्हें हृदय के हर प्रकोष्ठ से शुभकामनाएं।
जो तुमने मातृभाषा हिन्दी की कम न होने दी मान्यताएँ ।।
हे साहित्यपीडिया तुम्हें प्रणाम सौ हजार।
करने हिन्दी का पुन: प्रचार-प्रसार।।
वह हिन्दी जो दशकों से की जा रही थी पूर्ण विस्मृत।
आज पुनः इसे किया तुमने जो स्व- स्नेह से सिञ्चित ।।
हे साहित्यपीडिया तुम्हें असीम बधाई ।
पुन: हिन्दी की मनुज को जो याद दिलाई।।
हे साहित्यपीडिया बहुत -बहुत धन्यवाद तुम्हारा।
देने हिन्दी उस मनुज को जो हिन्दीविहिन हो गया था बेचारा।।