हे !राम सच्चिदानंद
हे सीतानाथ कौशल्यानंद
दशरथ के प्राण करुणा निधान ।
लक्ष्मण के तात शत्रुघ्न साथ
करो दया दयामय दीनबन्धु ।।
कण कण में व्याप्त हे सुखराशि
अविगत अनादि हे अविनाशी ।
हे जगतपिता हे परमेश्वर
हे राम बनो मम उर वासी ।।
हे करुणा सागर सुखनिधान
दीनों के नाथ हे दीनबंधु ।
हम दीनो पर तुम दया करो
तर जाएँ पार करें सिंधु ।।
हे । राम सच्चिदानंद रूप
हे रावनारि हे जगताधीश ।
है कोटि नमन त्व चरणों में
हे दुखहर्ता हमें दें आशीष ।।
रामनवमी के पुनीत पावन पर्व की
मंगलमयी शुभकामनाओं सहित
सुनील सोनी “सागर”
चीचली(म.प्र.)