#हे राम तेरे हम अपराधी
~ पुनर्प्रसारित ~
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★ #हे राम तेरे हम अपराधी ★
जयघोष नहीं
अभी नहीं
अभी सम्पूर्ण सत्य प्रकटा नहीं
अभी कोई अंगद डटा नहीं
हठधर्मी का दानव जीवित
उत्सव की अभी छटा नहीं
जयघोष नहीं
अभी नहीं
अभी असत्य सर्वनाश नहीं
निजगौरव आभास नहीं
सच का सूरज उगने की
अभी दूर-दूर तक आस नहीं
जयघोष नहीं
अभी नहीं
अभी मूढ़ताग्रस्त बाबरी अपराधी
सभ्यता लीलती धर्महीन सत्ताव्याधि
म्लेच्छमनों की दुरभिसंधियां
विश्वास अर्जन की नवआधि
जयघोष नहीं
अभी नहीं
श्यामवर्ण हुआ अभी हरा नहीं
पाखंडमट भी भरा नहीं
विचारों से जनमन आच्छादित
लेकिन कोई खरा नहीं
जयघोष नहीं
अभी नहीं
अभी शेष कलहकारों का कूटन
रंगेसियारों बीच रामनामलूटन
हे राघव ! अभी कहलाता तेरा घर
इक नरपिशाच लुटेरे की जूठन
जयघोष नहीं
अभी नहीं
हे राम तेरे हम अपराधी
हतभाग्य अकिंचन प्रमादी
तूने सौंपी मर्यादा
ईक-इक रेखा हमने लांघी
जयघोष नहीं
अभी नहीं
कौशल्यानंदन क्षमा हमारा अधिकार नहीं
रोटी-रोटी जपना क्षुधाउपचार नहीं
बलवीर्य न शेष यदि भुजाओं में
धराविचरण जीवनसार नहीं
जयघोष नहीं
अभी नहीं
कई कालकूट अभी और भी हैं
मथुरा काशी-से उनके ठौर भी हैं
डाकू ठग बहेलिए
साधुवेश में चौर भी हैं
जयघोष नहीं
अभी नहीं
मुट्ठी बांध निकलना होगा
अंगारों पर चलना होगा
खाये-अघाये उबकाये रहे
बंदनवार बदलना होगा
तभी होगा
होगा जयघोष
होगा तभी होगा जयघोष
नहीं रहेगा तृणभर भी रोष
आर्यावर्त के इस ओर से उस छोर तक
फहराएगा भगवा निर्दोष
फहराएगा भगवा निर्दोष
फहराएगा भगवा निर्दोष . . . !
२४-७-२०२०
#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२