हे मेरे वतन, तुझपे कुर्बान हम
(शेर)- हजारों अहसान है हमपे तुम्हारे, हे मेरे प्यारे वतन।
नहीं होने देंगे कम कभी सम्मान तुम्हारा, हे मेरे वतन।।
दिलो-जान से कुर्बान हैं तुम पर, हम सभी भारतवासी।
तेरे लिए खाते हैं आज यह कसम हम, हे मेरे वतन।।
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हम सब मिलकर खायें, आज यह कसम।
दिलो- जान से वतन पर, कुर्बान हम।।
हे मेरे वतन, तुझपे कुर्बान हम।—–(2)
हम सब मिलकर ———————-।।
बामुश्किल मिली है, यह आजादी हमको।
रखनी है शान जिन्दा, शहीदों की हमको।।
नहीं मिटने देंगे, उन शहीदों का नाम हम।
हे मेरे वतन, तुझपे कुर्बान हम।—–(2)
हम सब मिलकर ———————-।।
जाति- धर्मों पर अब, नहीं हो लड़ाई।
हम सब है हिंदुस्तानी, आपस में भाई।।
साम्प्रदायिक सद्भाव, जिन्दा रखेंगे हम।
हे मेरे वतन, तुझपे कुर्बान हम।—–(2)
हम सब मिलकर ———————-।।
हमारी आन-शान, यह तिरंगा है।
हमारी पहचान-जान, यह तिरंगा है।।
झुकने नहीं देंगे कभी, यह तिरंगा हम।
हे मेरे वतन, तुझपे कुर्बान हम।—–(2)
हम सब मिलकर ———————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)