हे माँ सरस्वति तार दे!
हे माँ सरस्वति तार दे!
तेरी शरण आए हैं हम लेकर मनोरथ पूर्ण कर
प्यासे नयन की वेदना हर, ज्ञान दे सम्पूर्ण कर
छेड़ दे कुछ राग ऐसा हो हृदय से दूर तम
डाल करुणादृष्टि माते हैं तेरे चरणों में हम
चेतन जगत हो जाए माँ वीणा मधुर झंकार दे
कर दया आशीष बिन कैसे खड़े हैं दीन हम
शब्द से परिचित नहीं हैं अर्थ से हैं विहीन हम
है भ्रमित ये आत्मा पथ का हमें माँ ज्ञान दे
प्यार और ममता का अद्भुत हमको तू वरदान दे
ज्योति ये अपनी अलौकिक आत्मा में उतार दे
बिन तेरे अस्तित्व मेरा कोई भी सचमुच नहीं
हम उपासक ज्ञान के हमें चाहिए अब कुछ नहीं
श्वेतवसना धारिणी माँ कर कृपा कुछ बोल दे
हे हंसवाहिनि माँ नयन पट दिव्य दृष्टि दे खोल दे
जिस पर बुलंदी टिक सके जीवन को वो आधार दे
हे माँ सरस्वति तार दे!