हे प्राणी
विष्णु विष्णु तू भज रे प्राणी।
कर्म उत्तम ही तू कर रे प्राणी।
धर्म धारण नित कर रे प्राणी।
मात-पिता सेवा कर रे प्राणी।
गऊ संभाल तू कर रे प्राणी।
जगत मोह तूं न कर रे प्राणी।
कार्य ईमानदार कर रे प्राणी।
बेईमानी कदै न कर रे प्राणी।
‘पृथ्वीसिंह’ बूराई से डर प्राणी।
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कवि पृथ्वीसिंह बैनीवाल
9518139200, 9467694029