हे ! गणपति महाराज
हे ! गणपति महाराज,
तुमको कोटि कोटि प्रणाम।
जब कोई शुभ कार्य होता,
तुम्हारा लिया जाता है नाम।।
तुम ही तो विघ्न हर्ता,
तुम ही तो कष्ट हर्ता।
तुम ही बुद्धि को देने वाले,
तुम ही शांति को देने वाले।
सब कष्ट हरो मेरे आज,
हे ! गणपति महाराज।।
तुम हो महादेव के पुत्र,
कार्तिक के हो तुम भ्राता।
मूषक है तुम्हारा वाहन,
पार्वती है तुम्हारी माता।
मेरे घर पधारो तुम आज,
हे ! गणपति महाराज।।
तुम हो अष्टसिद्धि के दायक ,
तुम हो नवनिधि के दायक।
तुम हो सबके मंगल दाता,
तुम हो बुद्धि देने वाले दाता।
मेरी कुबुद्धि की हरो आज,
हे ! गणपति महाराज।।
तुम पार्वती के पुत्र कहलाते,
तुम गजानन भी कहलाते।
तुम निर्विघ्न सब कार्य करते,
हर शुभकार्य में तुम याद आते।
प्रभु, रखना तुम मेरी लाज,
हे ! गजानन महाराज।।
नाश करना मेरे अभिमान का,
देना दान प्रभु,अपने ज्ञान का।
मात पिता की करू मैं सेवा,
मांगता नही मै कोई भी मेवा।
प्रभु,करना सब मेरे पूर्ण काज,
है ! गणपति महाराज।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम