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30 Aug 2021 · 1 min read

हे कृष्ण कन्हैया!

हे कृष्ण कन्हैया ! रास रचैया !! अब तो मुझे पुकार लो
है नाव मेरी भव-सागर अटकी, आ कर इसे उबार लो

अपने पग की धूल बना दो
पथ से मेरे शूल हटा दो
दे कर ज्ञान-चक्षु मुझको भी,
मेरे मन के फूल खिला दो

हे राधा नागर! गिरिधर!! मोहन!!! मन के सभी विकार लो

देश न जानूँ, काल न जानूँ
मूक और वाचाल न जानूँ
नृत्य और संगीत भला क्या,
सरगम के लय-ताल न जानूँ

हे नटवर नागर! मुरलीमनोहर!! मेरी भूल सुधार लो

अहंकारवश वन-वन भटकूँ
भ्रमित ज्ञान पा दर-दर अटकूँ
माया-पथ पर हे ‘असीम’ ! मैं
पग-पग पर दर्पण सा चटकूँ

हे मधुसूदन! गोपाल!! श्याम!!! भ्रम-गगन से मुझे उतार लो

©️ शैलेन्द्र ‘असीम’

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 2 Comments · 407 Views
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