हे। शारदे माँ आये हम शरण में
हे । शारदे माँ आये हम शरण में
*************************
हे । शारदे माँ आये हम शरण में,
हमे तार दे माँ आये हम शरण मे।
तुम ज्ञानसागर हमें राह दिखाओ,
भटके हैं राही चरण में बैठाओ,
हमें राह दे माँ आये हम शरण में।
हमें तार दे माँ आये हम शरण में।
हाथो में तिरे वीणा है सजाई,
कमल गुलाबी की सेज़ बिछाई,
हमें प्यार दे माँ आये हम शरण मे।
हमें तार दे माँ आये हम शरण में।
अथाह प्रेम सागर हो प्रेम वर्षा,
जन – जन तेरे ही दर्शन को तरसा,
हमें दर्श दे माँ आये हम शरण में।
हमें तार दे माँ आये हम शरण में।
वरदायिनी तू श्वेत वस्त्र धारिणी,
सुखदायिनी तू संकट को तारिणी,
हमें ध्यान दे माँ आये हम शरण में।
हमें तार दे माँ आये हम शरण में।
नभ-थल की विद्या तुम्हीं में समाई,
धर धीर मन में ज्ञान ज्योति जगाई,
हमें धार दे माँ आये हम शरण में।
हमे तार दे माँ आये हम शरण में।
मनसीरत मस्तक चंदन है चढ़ाया,
दीप जलाकर जग प्रकाश फैलाया,
हमें कार दे माँ आये हम शरण में।
हमें तार दे माँ आये हम शरण में।
हे । शारदे माँ आये हम शरण में।
हमे तार दे माँ आये हम शरण में।
**************************
सुखविन्दर सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)
🙏🙏🙏