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24 Oct 2021 · 1 min read

‘हेमन्त ऋतु’ भाग-1 (प्रकृति चित्रण)

(१)

शनै-शनै रवि क्यों अपना,
रंग और रूप बदलने लगा है।
श्वेत रजत रंग त्याग कर,
ताम्र रूप क्यों धरने लगा है।
नभ स्वच्छ नीलिमा छाई,
दिवस भी पहले ढलने लगा है।
लगता है अब विष्णु मेरे,
ऋतु हेमन्त आगमन होने लगा है।

(२)
खलियन मैं धवल पक्षी अब,
किट भक्षण क्यों करने लगा है।
खेतिहर अपने खलियान में,
हल बौवनी क्यों चलाने लगा है।
मेढ़ो किनारे जलधार अब,
प्रथम सिंचाई काम होने लगा है।
विष्णु आर्यव्रत देश धरा पर,
ऋतु हेमन्त अब आने लगा है।

(३)
बारहमास कुञ्जन पुष्पों पर,
तितलियाँ क्यों मँडराने लगी है।
टोपल सिर पर रख किसानिन,
प्रभात खेत क्यों जाने लगी है।
चतुर्मास भी बीत चुका अब,
गीत शहनाई भी बजने लगी है।
विष्णु दिशा तक परिवेश में,
ऋतु हेमन्त अब छाने लगी है।

-विष्णु प्रसाद ‘पाँचोटिया’

्््््््््््््््््््््््््््््््््््््

4 Likes · 3 Comments · 387 Views
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