हृदय तूलिका
उन्मुक्त भाव से ह्रदयतूलिका
जब कागज़ पर चलती है,
सतरंगी अरमानों की ओढ़ चुनर
खुशियॉ रंग भरती हैं
पिघलतेहैं तब ख्वाब अधूरे सारे,
ख्वाहिशों की तपिश में,
होता है तब मन मस्त मगन,
और नया कुछ करता है
गढ़ जाता इक नया दृश्य
फलक पर ,
उम्मीदों के रंग से सजकर
होते तब साकार सभी स्वप्न ,
भावों के अलंकरण पहनकर ……
कुमुद श्रीवास्तव