हूं बहारों का मौसम
मैं गुलाबों की खुशबू महक जाऊंगा,
हूं झरने का पानी छलक जाऊंगा।
आएगा जब भी बहारों का मौसम,
बन दिल की धड़कन धड़क जाऊंगा।
न आना कभी तुम यहां हुस्न वालों,
हूं आशिक आवारा तड़प जाऊंगा।
ऐसे देखों मुझको अपनी नजरे चुराकर,
तेरी आंखे नशीली मैं बहक जाऊंगा।
सर्द होती है अक्सर वादियों की रातें
हूं आतिश की आग गर सुलग जाऊंगा।
बस हरारत के जैसे मुझे महसूस करना,
आगोश में तेरे मैं जब चिपक जाऊंगा।
@साहित्य गौरव