हुस्न ए मल्लिका
*** हुस्न ए मल्लिका ***
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हुस्न ए मल्लिका हूर है,
मुखड़े पर उसके नूर है।
वो है परी जिद्द पर अड़ी,
उन्हीं से ही है आँख लड़ी,
मन मे बहुत सा गुरुर है।
मुखड़े पर उसके नूर है।
दिल में है बस ठान लिया,
जी जान उन्हें मान लिया,
उन्हीं का छाया फितूर है।
मुखड़े पर उसके नूर है।
बाँहों के झूले झुलाएँगे,
अपना उन्हीं को बनाएंगे,
वो दिन नहीं अब दूर है।
मुखड़े पर उसके नूर है।
चट्टान्नी इरादे राह में अड़े,
हम भी तो कतार में खड़े,
मंजिल वहीं पर हुजूर है।
मुखड़े पर उसके नूर है।
नदी के किनारे बस्ती है,
मनसीरत सांसे बसती है।
पाना उन्हीं को जरूर है।
मुखड़े पर उसके नूर है।
हुस्न ए मल्लिका हूर है,
मुखड़े पर उसके नूर है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)