हुस्न ए दौलत बेमिसाल
चार दिन का रूप तेरा,मुस्कुराना चाहिए l
हुस्न-ए-दौलत बे मिसाल,कुछ लुटाना चाहिएll
नैन-खंजर छोड़कर भी,प्यार से मिल लो गले l
दूर कल जो हम हुए,कुछ याद रहना चाहिए ll
संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़,उत्तर प्रदेशl
चार दिन का रूप तेरा,मुस्कुराना चाहिए l
हुस्न-ए-दौलत बे मिसाल,कुछ लुटाना चाहिएll
नैन-खंजर छोड़कर भी,प्यार से मिल लो गले l
दूर कल जो हम हुए,कुछ याद रहना चाहिए ll
संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़,उत्तर प्रदेशl