हुक़्मरानी के मदहोशी मे
हुक़्मरानी के मदहोशी मे हमे कुछ सूझता नहीं?
कई भूखे बिलखकर मर रहे, तो भी हमे दिखता नही
जनसेवक बना तो साफ करूँगा सरकारी खजाना
लोकतंत्र के भेड़चाल मे कहीं किसी को दिखता नहीं?
शायर- किशन कारीगर
(©काॅपीराईट)