हुए प्रकाशित हम बाहर से,
हुए प्रकाशित हम बाहर से,
अंतर्मन में घोर तम है।
मानवमूल्य हीन नरपशु कहे,
धरती के सूरज हम है।।
जलाओ दीप, जगमगाए शहर।
किसी को कभी न भगाए शहर।।
कबूतर को दाना, गरीबों को लंगर।
और प्यासे को पानी पिलाए शहर।।
हुए प्रकाशित हम बाहर से,
अंतर्मन में घोर तम है।
मानवमूल्य हीन नरपशु कहे,
धरती के सूरज हम है।।
जलाओ दीप, जगमगाए शहर।
किसी को कभी न भगाए शहर।।
कबूतर को दाना, गरीबों को लंगर।
और प्यासे को पानी पिलाए शहर।।